पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरक्का में रैली के दौरान ममता ने आशंका जताई कि भाजपा नतीजों में हेरफेर कर सकती है, क्योंकि कई ईवीएम गायब थीं। साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों की वोटिंग के अंतिम आंकड़े जारी करने में देरी के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की। उन्होंने आयोग से पूछा कि आखिर डेटा देने में इतनी देरी क्यों हुई है।
ममता ने मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी पर भी चिंता जताते हुए कहा कि अचानक वृद्धि न सिर्फ परेशान करने वाली है, बल्कि EVM की विश्वसनीयता के बारे में शक पैदा करती है।
फॉर्मेट तय करने में देरी: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने कहा है कि वोटिंग प्रतिशत किसी भी ‘वोट टर्नआउट’ एप पर तुरंत देखे जा सकते हैं। ये आंकड़े वोटिंग अगले दिन और कुछ सीटों पर दो दिन में अपडेट हो चुके थे। आयोग ने स्पष्ट भी किया था कि वोट प्रतिशत 7 बजे तक बूथ से मिले आंकड़ों के आधार पर हैं, कई केंद्रों पर वोटिंग 6 बजे बाद भी चलती रही ।
अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर के राज्यों के दूरस्थ इलाकों वाले केद्रों से डेटा देरी से अपलोड हुआ। देरी की एक वजह यह भी रही कि आयोग यह तय कर रहा था कि डेटा किस फॉर्मेट में दिया जाए, ताकि मतदाताओं को बेहतर जानकारी मिल सके।
पहले फेज में 66.14% तो दूसरे चरण में 66.71% मतदान
चुनाव आयोग ने मंगलवार को लोकसभा के पहले और दूसरे फेज की वोटिंग का फाइनल डेटा जारी किया। पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ।
चुनाव आयोग के पोल पैनल के मुताबिक, पहले चरण में, 66.22 प्रतिशत पुरुष और 66.07 महिला मतदाता मतदान करने आए। थर्ड जेंडर वोटर्स का मतदान प्रतिशत 31.32% रहा। दूसरे चरण में पुरुष मतदान 66.99%, जबकि महिला मतदान 66.42% रहा। थर्ड जेंडर की वोटिंग 23.86% रही।
विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और CPM ने देरी से फाइनल डेटा आने पर चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए। विपक्ष का कहना है कि आमतौर पर यह आंकड़ा मतदान के 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है। लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है।
दरअसल, 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए फर्स्ट फेज की वोटिंग 102 सीटों पर 19 अप्रैल को हुई थी। वहीं, 88 सीटों के लिए सेकंड फेज की वोटिंग 26 अप्रैल को हुई थी।
डेरेक ओ ब्रायन कहा- आंकड़े में लगभग 6 प्रतिशत का फर्क है
TMC नेता डेरेक ओ ब्रायन ने चुनाव आयोग के आंकड़ों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सेकेंड फेज के खत्म होने के चार दिन बाद फाइनल डेटा जारी किया। चुनाव आयोग द्वारा 4 दिन पहले जारी किए गए आंकड़े में 5.75% की बढ़ोतरी हुई है। क्या यह नॉर्मल है? या फिर कुछ मिस कर रहा हूं?
सीताराम येचुरी बोले- वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?
CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि ECI के पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी ज्यादा है। उन्होंने पूछा कि हर संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा पता न चले, आंकड़ा बेकार है।
येचुरी ने कहा कि नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है, क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है। 2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ECI वेबसाइट पर उपलब्ध थी। आयोग को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए।
पारदर्शिता होना जरूरी है: जयराम रमेश
इस आंकड़े के आने से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ECI को चुनाव से जुड़े सभी आंकड़े पारदर्शी तरीके के साथ सार्वजनिक करना चाहिए।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स में लिखा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी नहीं किया है। पहले चुनाव आयोग मतदान के तुरंत बाद या 24 घंटों के भीतर मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी करता था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर केवल अनुमानित रुझान आंकड़े ही उपलब्ध हैं। इस देरी का कारण क्या है?