आज होने वाली डॉ. मोहन यादव कैबिनेट की मीटिंग में पचमढ़ी शहर को अभयारण्य से बाहर करने पर मुहर लगाई जा सकती है। ऐसा होने पर पचमढ़ी की पौने चार सौ हेक्टेयर जमीन को नजूल के दायरे में लाया जाएगा। इसके बाद यहां जमीन की खरीद-फरोख्त हो सकेगी। इस फैसले के बाद पचमढ़ी अभयारण्य का नोटिफिकेशन फिर से होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से मप्र सरकार इस मामले पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित होने के बाद आगे की कार्यवाही करेगी।
एमपी सरकार ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 18 (1) के अंतर्गत एक जून 1977 को पचमढ़ी अभयारण्य को अधिसूचित किया था। इस दौरान अभयारण्य में शामिल किए गए और बाहर किए जाने वाले क्षेत्र को सीमांकित नहीं किया गया था। इसके चलते यहां कोई गतिविधि सरकार खुद भी नहीं कर पा रही है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब यहां की पौने चार सौ हेक्टेयर जमीन को नजूल भूमि घोषित किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव भेजा है। इसके बाद यह जमीन 'पचमढ़ी भूमि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण' के स्वामित्व में आ जाएगी। यहां विकास कार्यों में तेजी लाने व जमीन की खरीदी-बिक्री का काम किया जा सकेगा। अभी अभयारण्य होने के कारण सरकार यहां किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति नहीं दे पा रही है।
नए जिलों में खाद्य विभाग के कार्यालय खोले जाएंगे
आज दोपहर 12.30 बजे से होने वाली कैबिनेट बैठक में मऊगंज समेत तीनों नए जिलों में खाद्य विभाग के नए जिला कार्यालय खोलने का प्रस्ताव आएगा। खाद्य और नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के नए कार्यालय खोलने के बाद यहां जिला आपूर्ति अधिकारी और सहायक आपूर्ति अधिकारी समेत खाद्य निरीक्षकों और लिपिकों के लिए नए पदों के सृजन को भी मंजूरी दी जाएगी।